Wednesday 5 June 2019

ललिता सहस्रनाम





अस्य श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रमाला मन्त्रस्य ।
वशिन्यादिवाग्देवता ऋषयः ।
अनुष्टुप् छन्दः ।
श्रीललितापरमेश्वरी देवता ।
श्रीमद्वाग्भवकूटेति बीजम् ।
मध्यकूटेति शक्तिः ।
शक्तिकूटेति कीलकम् ।
श्रीललितामहात्रिपुरसुन्दरी -प्रसादसिद्धिद्वारा
चिन्तितफलावाप्त्यर्थे जपे विनियोगः ।

॥ ध्यानम् ॥

सिन्दूरारुण विग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलि स्फुरत्
तारा नायक शेखरां स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहाम् ।
पाणिभ्यामलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतीं
सौम्यां रत्न घटस्थ रक्तचरणां ध्यायेत् परामम्बिकाम् ॥

अरुणां करुणा तरङ्गिताक्षीं
धृत पाशाङ्कुश पुष्प बाणचापाम् ।
अणिमादिभि रावृतां मयूखै -
रहमित्येव विभावये भवानीम् ॥

ध्यायेत् पद्मासनस्थां विकसितवदनां पद्मपत्रायताक्षीं
हेमाभां पीतवस्त्रां करकलितलसद्धेमपद्मां वराङ्गीम् ।
सर्वालङ्कार युक्तां सतत मभयदां भक्तनम्रां भवानीं
श्रीविद्यां शान्त मूर्तिं सकल सुरनुतां सर्व सम्पत्प्रदात्रीम् ॥
सकुङ्कुम विलेपनामलिकचुम्बि कस्तूरिकां
समन्दहसितेक्षणां सशरचापपाशाङ्कुशाम् ।
अशेष जनमोहिनीं अरुणमाल्यभूषाम्बरां
जपाकुसुमभासुरांजपविधौस्मरेदम्बिकाम् ॥

॥ श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रम् ॥

ॐ श्रीगणेशाय नमः । ॐ श्रीसरस्वत्यै नमः । जय माई जय मार्कण्ड माई ।


  ॥ अथ श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रम् ॥



ॐ श्रीमाता श्रीमहाराज्ञी श्रीमत् - सिंहासनेश्वरी ।
चिदग्नि - कुण्ड - सम्भूता देवकार्य - समुद्यता ॥ १॥
उद्यद्भानु - सहस्राभा चतुर्बाहु - समन्विता ।
रागस्वरूप - पाशाढ्या क्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला ॥ २॥
मनोरूपेक्षु - कोदण्डा पञ्चतन्मात्र - सायका ।
निजारुण - प्रभापूर - मज्जद्ब्रह्माण्ड - मण्डला ॥ ३॥
चम्पकाशोक - पुन्नाग - सौगन्धिक - लसत्कचा ।
कुरुविन्दमणि - श्रेणी - कनत्कोटीर - मण्डिता ॥ ४॥
अष्टमीचन्द्र - विभ्राज - दलिकस्थल - शोभिता ।
मुखचन्द्र - कलङ्काभ - मृगनाभि - विशेषका ॥ ५॥
वदनस्मर - माङ्गल्य - गृहतोरण - चिल्लिका ।
वक्त्रलक्ष्मी - परीवाह - चलन्मीनाभ - लोचना ॥ ६॥
नवचम्पक - पुष्पाभ - नासादण्ड - विराजिता ।
ताराकान्ति - तिरस्कारि - नासाभरण - भासुरा ॥ ७॥
कदम्बमञ्जरी - क्लृप्त - कर्णपूर - मनोहरा ।
ताटङ्क - युगली - भूत - तपनोडुप - मण्डला ॥ ८॥
पद्मराग - शिलादर्श - परिभावि - कपोलभूः ।
नवविद्रुम - बिम्बश्री - न्यक्कारि - रदनच्छदा ॥ ९॥ 
शुद्ध - विद्याङ्कुराकार - द्विजपङ्क्ति - द्वयोज्ज्वला ।
कर्पूर - वीटिकामोद - समाकर्षि - दिगन्तरा ॥ १०॥
निज - सल्लाप - माधुर्य - विनिर्भर्त्सित - कच्छपी । 
मन्दस्मित - प्रभापूर - मज्जत्कामेश - मानसा ॥ ११॥
अनाकलित - सादृश्य - चिबुकश्री - विराजिता । 
कामेश - बद्ध - माङ्गल्य - सूत्र - शोभित - कन्धरा ॥ १२॥
कनकाङ्गद - केयूर - कमनीय - भुजान्विता ।
रत्नग्रैवेय - चिन्ताक - लोल - मुक्ता - फलान्विता ॥ १३॥
कामेश्वर - प्रेमरत्न - मणि - प्रतिपण - स्तनी ।
नाभ्यालवाल - रोमालि - लता - फल - कुचद्वयी ॥ १४॥
लक्ष्यरोम - लताधारता - समुन्नेय - मध्यमा ।
स्तनभार - दलन्मध्य - पट्टबन्ध - वलित्रया ॥ १५॥
अरुणारुण - कौसुम्भ - वस्त्र - भास्वत् - कटीतटी ।
रत्न - किङ्किणिका - रम्य - रशना - दाम - भूषिता ॥ १६॥
कामेश - ज्ञात - सौभाग्य - मार्दवोरु - द्वयान्विता ।
माणिक्य - मुकुटाकार - जानुद्वय - विराजिता ॥ १७॥
इन्द्रगोप - परिक्षिप्त - स्मरतूणाभ - जङ्घिका ।
गूढगुल्फा कूर्मपृष्ठ - जयिष्णु - प्रपदान्विता ॥ १८॥
नख - दीधिति - संछन्न - नमज्जन - तमोगुणा ।
पदद्वय - प्रभाजाल - पराकृत - सरोरुहा ॥ १९॥
सिञ्जान - मणिमञ्जीर - मण्डित - श्री - पदाम्बुजा । 
मराली -मन्दगमना महालावण्य - शेवधिः ॥ २०॥
सर्वारुणा अनवद्याङ्गी सर्वाभरण - भूषिता ।
शिव - कामेश्वराङ्कस्था शिवा स्वाधीन - वल्लभा ॥ २१॥
सुमेरु - मध्य - शृङ्गस्था श्रीमन्नगर - नायिका ।
चिन्तामणि - गृहान्तस्था पञ्च - ब्रह्मासन - स्थिता ॥ २२॥
महापद्माटवी - संस्था कदम्बवन - वासिनी ।
सुधासागर - मध्यस्था कामाक्षी कामदायिनी ॥ २३॥
देवर्षि - गण - संघात - स्तूयमानात्म - वैभवा ।
भण्डासुर - वधोद्युक्त - शक्तिसेना - समन्विता ॥ २४॥
सम्पत्करी - समारूढ - सिन्धुर - व्रज - सेविता ।
अश्वारूढाधिष्ठिताश्व - कोटि - कोटिभिरावृता ॥ २५॥
चक्रराज - रथारूढ - सर्वायुध - परिष्कृता ।
गेयचक्र - रथारूढ - मन्त्रिणी - परिसेविता ॥ २६॥
किरिचक्र - रथारूढ - दण्डनाथा - पुरस्कृता ।
ज्वाला - मालिनिकाक्षिप्त - वह्निप्राकार - मध्यगा ॥ २७॥
भण्डसैन्य - वधोद्युक्त - शक्ति - विक्रम - हर्षिता ।
नित्या - पराक्रमाटोप - निरीक्षण - समुत्सुका ॥ २८॥
भण्डपुत्र - वधोद्युक्त - बाला - विक्रम - नन्दिता ।
मन्त्रिण्यम्बा - विरचित - विषङ्ग - वध - तोषिता ॥ २९॥
विशुक्र - प्राणहरण - वाराही - वीर्य - नन्दिता ।
कामेश्वर - मुखालोक - कल्पित - श्रीगणेश्वरा ॥ ३०॥
महागणेश - निर्भिन्न - विघ्नयन्त्र - प्रहर्षिता ।
भण्डासुरेन्द्र - निर्मुक्त - शस्त्र - प्रत्यस्त्र - वर्षिणी ॥ ३१॥
कराङ्गुलि - नखोत्पन्न - नारायण - दशाकृतिः ।
महा - पाशुपतास्त्राग्नि - निर्दग्धासुर - सैनिका ॥ ३२॥
कामेश्वरास्त्र - निर्दग्ध - सभण्डासुर - शून्यका ।
ब्रह्मोपेन्द्र - महेन्द्रादि - देव - संस्तुत - वैभवा ॥ ३३॥
हर - नेत्राग्नि - संदग्ध - काम - सञ्जीवनौषधिः ।
श्रीमद्वाग्भव - कूटैक - स्वरूप - मुख - पङ्कजा ॥ ३४॥
कण्ठाधः - कटि - पर्यन्त - मध्यकूट - स्वरूपिणी ।
शक्ति - कूटैकतापन्न - कट्यधोभाग - धारिणी ॥ ३५॥
मूल - मन्त्रात्मिका मूलकूटत्रय - कलेबरा ।
कुलामृतैक - रसिका कुलसंकेत - पालिनी ॥ ३६॥
कुलाङ्गना कुलान्तस्था कौलिनी कुलयोगिनी ।
अकुला समयान्तस्था समयाचार - तत्परा ॥ ३७॥
मूलाधारैक - निलया ब्रह्मग्रन्थि - विभेदिनी ।
मणि - पूरान्तरुदिता विष्णुग्रन्थि - विभेदिनी ॥ ३८॥
आज्ञा - चक्रान्तरालस्था रुद्रग्रन्थि - विभेदिनी ।
सहस्राराम्बुजारूढा सुधा - साराभिवर्षिणी ॥ ३९॥
तडिल्लता - समरुचिः षट्चक्रोपरि - संस्थिता ।
महासक्तिः कुण्डलिनी बिसतन्तु - तनीयसी ॥ ४०॥
भवानी भावनागम्या भवारण्य - कुठारिका ।
भद्रप्रिया भद्रमूर्तिर् भक्त - सौभाग्यदायिनी ॥ ४१॥
भक्तिप्रिया भक्तिगम्या भक्तिवश्या भयापहा ।
शाम्भवी शारदाराध्या शर्वाणी शर्मदायिनी ॥ ४२॥
शाङ्करी श्रीकरी साध्वी शरच्चन्द्र - निभानना ।
शातोदरी शान्तिमती निराधारा निरञ्जना ॥ ४३॥
निर्लेपा निर्मला नित्या निराकारा निराकुला ।
निर्गुणा निष्कला शान्ता निष्कामा निरुपप्लवा ॥ ४४॥
नित्यमुक्ता निर्विकारा निष्प्रपञ्चा निराश्रया ।
नित्यशुद्धा नित्यबुद्धा निरवद्या निरन्तरा ॥ ४५॥
निष्कारणा निष्कलङ्का निरुपाधिर् निरीश्वरा ।
नीरागा रागमथनी निर्मदा मदनाशिनी ॥ ४६॥
निश्चिन्ता निरहंकारा निर्मोहा मोहनाशिनी ।
निर्ममा ममताहन्त्री निष्पापा पापनाशिनी ॥ ४७॥
निष्क्रोधा क्रोधशमनी निर्लोभा लोभनाशिनी ।
निःसंशया संशयघ्नी निर्भवा भवनाशिनी ॥ ४८॥ 
निर्विकल्पा निराबाधा निर्भेदा भेदनाशिनी ।
निर्नाशा मृत्युमथनी निष्क्रिया निष्परिग्रहा ॥ ४९॥
निस्तुला नीलचिकुरा निरपाया निरत्यया ।
दुर्लभा दुर्गमा दुर्गा दुःखहन्त्री सुखप्रदा ॥ ५०॥
दुष्टदूरा दुराचार - शमनी दोषवर्जिता ।
सर्वज्ञा सान्द्रकरुणा समानाधिक - वर्जिता ॥ ५१॥
सर्वशक्तिमयी सर्व - मङ्गला सद्गतिप्रदा ।
सर्वेश्वरी सर्वमयी सर्वमन्त्र - स्वरूपिणी ॥ ५२॥
सर्व - यन्त्रात्मिका सर्व - तन्त्ररूपा मनोन्मनी ।
माहेश्वरी महादेवी महालक्ष्मीर् मृडप्रिया ॥ ५३॥
महारूपा महापूज्या महापातक - नाशिनी ।
महामाया महासत्त्वा महाशक्तिर् महारतिः ॥ ५४॥
महाभोगा महैश्वर्या महावीर्या महाबला ।
महाबुद्धिर् महासिद्धिर् महायोगेश्वरेश्वरी ॥ ५५॥
महातन्त्रा महामन्त्रा महायन्त्रा महासना ।
महायाग -क्रमाराध्या महाभैरव -पूजिता ॥ ५६॥
महेश्वर -महाकल्प - महाताण्डव -साक्षिणी ।
महाकामेश - महिषी महात्रिपुर - सुन्दरी ॥ ५७॥
चतुःषष्ट्युपचाराढ्या चतुःषष्टिकलामयी ।
महाचतुः -षष्टिकोटि - योगिनी - गणसेविता ॥ ५८॥
मनुविद्या चन्द्रविद्या चन्द्रमण्डल - मध्यगा ।
चारुरूपा चारुहासा चारुचन्द्र - कलाधरा ॥ ५९॥
चराचर -जगन्नाथा चक्रराज - निकेतना ।
पार्वती पद्मनयना पद्मराग - समप्रभा ॥ ६०॥
पञ्च -प्रेतासनासीना पञ्चब्रह्म - स्वरूपिणी ।
चिन्मयी परमानन्दा विज्ञान - घनरूपिणी ॥ ६१॥
ध्यान - ध्यातृ - ध्येयरूपा धर्माधर्म - विवर्जिता ।
विश्वरूपा जागरिणी स्वपन्ती तैजसात्मिका ॥ ६२॥
सुप्ता प्राज्ञात्मिका तुर्या सर्वावस्था - विवर्जिता ।
सृष्टिकर्त्री ब्रह्मरूपा गोप्त्री गोविन्दरूपिणी ॥ ६३॥
संहारिणी रुद्ररूपा तिरोधान - करीश्वरी ।
सदाशिवानुग्रहदा पञ्चकृत्य - परायणा ॥ ६४॥
भानुमण्डल - मध्यस्था भैरवी भगमालिनी ।
पद्मासना भगवती पद्मनाभ - सहोदरी ॥ ६५॥
उन्मेष - निमिषोत्पन्न - विपन्न - भुवनावली ।
सहस्र - शीर्षवदना सहस्राक्षी सहस्रपात् ॥ ६६॥
आब्रह्म - कीट -जननी वर्णाश्रम - विधायिनी ।
निजाज्ञारूप - निगमा पुण्यापुण्य - फलप्रदा ॥ ६७॥
श्रुति - सीमन्त - सिन्दूरी - कृत - पादाब्ज - धूलिका ।
सकलागम - सन्दोह - शुक्ति - सम्पुट - मौक्तिका ॥ ६८॥
पुरुषार्थप्रदा पूर्णा भोगिनी भुवनेश्वरी ।
अम्बिका अनादि - निधना हरिब्रह्मेन्द्र - सेविता ॥ ६९॥
नारायणी नादरूपा नामरूप - विवर्जिता ।
ह्रींकारी ह्रीमती हृद्या हेयोपादेय - वर्जिता ॥ ७०॥
राजराजार्चिता राज्ञी रम्या राजीवलोचना ।
रञ्जनी रमणी रस्या रणत्किङ्किणि - मेखला ॥ ७१॥
रमा राकेन्दुवदना रतिरूपा रतिप्रिया ।
रक्षाकरी राक्षसघ्नी रामा रमणलम्पटा ॥ ७२॥
काम्या कामकलारूपा कदम्ब - कुसुम - प्रिया ।
कल्याणी जगतीकन्दा करुणा - रस - सागरा ॥ ७३॥
कलावती कलालापा कान्ता कादम्बरीप्रिया ।
वरदा वामनयना वारुणी - मद - विह्वला ॥ ७४॥
विश्वाधिका वेदवेद्या विन्ध्याचल - निवासिनी ।
विधात्री वेदजननी विष्णुमाया विलासिनी ॥ ७५॥
क्षेत्रस्वरूपा क्षेत्रेशी क्षेत्र -क्षेत्रज्ञ - पालिनी ।
क्षयवृद्धि - विनिर्मुक्ता क्षेत्रपाल - समर्चिता ॥ ७६॥
विजया विमला वन्द्या वन्दारु - जन - वत्सला ।
वाग्वादिनी वामकेशी वह्निमण्डल - वासिनी ॥ ७७॥
भक्तिमत् -कल्पलतिका पशुपाश - विमोचिनी ।
संहृताशेष -पाषण्डा सदाचार - प्रवर्तिका ॥ ७८॥ 
तापत्रयाग्नि - सन्तप्त - समाह्लादन - चन्द्रिका ।
तरुणी तापसाराध्या तनुमध्या तमोपहा ॥ ७९॥
चितिस्तत्पद - लक्ष्यार्था चिदेकरस - रूपिणी ।
स्वात्मानन्द - लवीभूत - ब्रह्माद्यानन्द - सन्ततिः ॥ ८०॥
परा प्रत्यक्चितीरूपा पश्यन्ती परदेवता ।
मध्यमा वैखरीरूपा भक्त - मानस - हंसिका ॥ ८१॥
कामेश्वर - प्राणनाडी कृतज्ञा कामपूजिता ।
शृङ्गार - रस - सम्पूर्णा जया जालन्धर - स्थिता ॥ ८२॥
ओड्याणपीठ - निलया बिन्दु - मण्डलवासिनी ।
रहोयाग - क्रमाराध्या रहस्तर्पण - तर्पिता ॥ ८३॥
सद्यःप्रसादिनी विश्व - साक्षिणी साक्षिवर्जिता ।
षडङ्गदेवता - युक्ता षाड्गुण्य - परिपूरिता ॥ ८४॥
नित्यक्लिन्ना निरुपमा निर्वाण - सुख - दायिनी ।
नित्या - षोडशिका - रूपा श्रीकण्ठार्ध - शरीरिणी ॥ ८५॥
प्रभावती प्रभारूपा प्रसिद्धा परमेश्वरी ।
मूलप्रकृतिर् अव्यक्ता व्यक्ताव्यक्त - स्वरूपिणी ॥ ८६॥
व्यापिनी विविधाकारा विद्याविद्या - स्वरूपिणी ।
महाकामेश - नयन - कुमुदाह्लाद - कौमुदी ॥ ८७॥
भक्त - हार्द - तमोभेद - भानुमद्भानु - सन्ततिः ।
शिवदूती शिवाराध्या शिवमूर्तिः शिवङ्करी ॥ ८८॥
शिवप्रिया शिवपरा शिष्टेष्टा शिष्टपूजिता ।
अप्रमेया स्वप्रकाशा मनोवाचामगोचरा ॥ ८९॥
चिच्छक्तिश् चेतनारूपा जडशक्तिर् जडात्मिका ।
गायत्री व्याहृतिः सन्ध्या द्विजबृन्द - निषेविता ॥ ९०॥
तत्त्वासना तत्त्वमयी पञ्च - कोशान्तर - स्थिता ।
निस्सीम - महिमा नित्य - यौवना मदशालिनी ॥ ९१॥ 
मदघूर्णित -रक्ताक्षी मदपाटल -गण्डभूः ।
चन्दन - द्रव - दिग्धाङ्गी चाम्पेय - कुसुम - प्रिया ॥ ९२॥
कुशला कोमलाकारा कुरुकुल्ला कुलेश्वरी ।
कुलकुण्डालया कौल - मार्ग - तत्पर - सेविता ॥ ९३॥
कुमार - गणनाथाम्बा तुष्टिः पुष्टिर् मतिर् धृतिः ।
शान्तिः स्वस्तिमती कान्तिर् नन्दिनी विघ्ननाशिनी ॥ ९४॥
तेजोवती त्रिनयना लोलाक्षी - कामरूपिणी ।
मालिनी हंसिनी माता मलयाचल - वासिनी ॥ ९५॥
सुमुखी नलिनी सुभ्रूः शोभना सुरनायिका ।
कालकण्ठी कान्तिमती क्षोभिणी सूक्ष्मरूपिणी ॥ ९६॥
वज्रेश्वरी वामदेवी वयोवस्था - विवर्जिता ।
सिद्धेश्वरी सिद्धविद्या सिद्धमाता यशस्विनी ॥ ९७॥
विशुद्धिचक्र -निलयारक्तवर्णा त्रिलोचना ।
खट्वाङ्गादि - प्रहरणा वदनैक - समन्विता ॥ ९८॥
पायसान्नप्रिया त्वक्स्था पशुलोक - भयङ्करी ।
अमृतादि - महाशक्ति - संवृता डाकिनीश्वरी ॥ ९९॥
अनाहताब्ज - निलया श्यामाभा वदनद्वया ।
दंष्ट्रोज्ज्वला अक्षमालादि - धरा रुधिरसंस्थिता ॥ १००॥
कालरात्र्यादि - शक्त्यौघ - वृता स्निग्धौदनप्रिया ।
महावीरेन्द्र - वरदा राकिण्यम्बा - स्वरूपिणी ॥ १०१॥
मणिपूराब्ज - निलया वदनत्रय - संयुता ।
वज्रादिकायुधोपेता डामर्यादिभिरावृता ॥ १०२॥
रक्तवर्णा मांसनिष्ठा गुडान्न - प्रीत - मानसा ।
समस्तभक्त - सुखदा लाकिन्यम्बा - स्वरूपिणी ॥ १०३॥
स्वाधिष्ठानाम्बुज - गता चतुर्वक्त्र - मनोहरा ।
शूलाद्यायुध - सम्पन्ना पीतवर्णा अतिगर्विता ॥ १०४॥
मेदोनिष्ठा मधुप्रीता बन्धिन्यादि - समन्विता ।
दध्यन्नासक्त - हृदया काकिनी - रूप - धारिणी ॥ १०५॥
मूलाधाराम्बुजारूढा पञ्च - वक्त्रास्थि - संस्थिता ।
अङ्कुशादि - प्रहरणा वरदादि - निषेविता ॥ १०६॥
मुद्गौदनासक्त - चित्ता साकिन्यम्बा - स्वरूपिणी ।
आज्ञा - चक्राब्ज - निलया शुक्लवर्णा षडानना ॥ १०७॥
मज्जासंस्था हंसवती - मुख्य - शक्ति - समन्विता ।
हरिद्रान्नैक - रसिका हाकिनी - रूप - धारिणी ॥ १०८॥
सहस्रदल - पद्मस्था सर्व - वर्णोप - शोभिता ।
सर्वायुधधरा शुक्ल - संस्थिता सर्वतोमुखी ॥ १०९॥
सर्वौदन - प्रीतचित्ता याकिन्यम्बा - स्वरूपिणी ।
स्वाहा स्वधा मतिर् मेधा श्रुतिः स्मृतिर् अनुत्तमा ॥ ११०॥
पुण्यकीर्तिः पुण्यलभ्या पुण्यश्रवण - कीर्तना ।
पुलोमजार्चिता बन्ध - मोचनी बन्धुरालका (बर्बरालका) ॥ १११॥ 
विमर्शरूपिणी विद्या वियदादि - जगत्प्रसूः ।
सर्वव्याधि - प्रशमनी सर्वमृत्यु - निवारिणी ॥ ११२॥
अग्रगण्या अचिन्त्यरूपा कलिकल्मष - नाशिनी ।
कात्यायनी कालहन्त्री कमलाक्ष - निषेविता ॥ ११३॥
ताम्बूल - पूरित - मुखी दाडिमी - कुसुम - प्रभा ।
मृगाक्षी मोहिनी मुख्या मृडानी मित्ररूपिणी ॥ ११४॥
नित्यतृप्ता भक्तनिधिर् नियन्त्री निखिलेश्वरी ।
मैत्र्यादि -वासनालभ्या महाप्रलय - साक्षिणी ॥ ११५॥
परा शक्तिः परा निष्ठा प्रज्ञानघन - रूपिणी ।
माध्वीपानालसा मत्ता मातृका - वर्ण - रूपिणी ॥ ११६॥
महाकैलास - निलया मृणाल - मृदु - दोर्लता ।
महनीया दयामूर्तिर् महासाम्राज्य - शालिनी ॥ ११७॥
आत्मविद्या महाविद्या श्रीविद्या कामसेविता ।
श्री -षोडशाक्षरी - विद्या त्रिकूटा कामकोटिका ॥ ११८॥
कटाक्ष - किङ्करी - भूत - कमला - कोटि - सेविता ।
शिरःस्थिता चन्द्रनिभा भालस्थेन्द्र - धनुःप्रभा ॥ ११९॥
हृदयस्था रविप्रख्या त्रिकोणान्तर - दीपिका ।
दाक्षायणी दैत्यहन्त्री दक्षयज्ञ - विनाशिनी ॥ १२०॥
दरान्दोलित - दीर्घाक्षी दर - हासोज्ज्वलन् - मुखी ।
गुरुमूर्तिर् गुणनिधिर् गोमाता गुहजन्मभूः ॥ १२१॥
देवेशी दण्डनीतिस्था दहराकाश -रूपिणी ।
प्रतिपन्मुख्य अराकान्त - तिथि - मण्डल - पूजिता ॥ १२२॥
कलात्मिका कलानाथा काव्यालाप - विनोदिनी (विमोदिनी) ।
सचामर - रमा - वाणी - सव्य - दक्षिण - सेविता ॥ १२३॥
आदिशक्तिर् अमेया आत्मा परमा पावनाकृतिः ।
अनेककोटि - ब्रह्माण्ड - जननी दिव्यविग्रहा ॥ १२४॥
क्लींकारी केवला गुह्या कैवल्य - पददायिनी ।
त्रिपुरा त्रिजगद्वन्द्या त्रिमूर्तिस् त्रिदशेश्वरी ॥ १२५॥
त्र्यक्षरी दिव्य - गन्धाढ्या सिन्दूर -तिलकाञ्चिता ।
उमा शैलेन्द्रतनया गौरी गन्धर्व सेविता ॥ १२६॥
विश्वगर्भा स्वर्णगर्भा अवरदा वागधीश्वरी ।
ध्यानगम्या अपरिच्छेद्या ज्ञानदा ज्ञानविग्रहा ॥ १२७॥
सर्ववेदान्त - संवेद्या सत्यानन्द - स्वरूपिणी ।
लोपामुद्रार्चिता लीला - क्लृप्त - ब्रह्माण्ड - मण्डला ॥ १२८॥
अदृश्या दृश्यरहिता विज्ञात्री वेद्यवर्जिता ।
योगिनी योगदा योग्या योगानन्दा युगन्धरा ॥ १२९॥
इच्छाशक्ति - ज्ञानशक्ति - क्रियाशक्ति - स्वरूपिणी ।
सर्वाधारा सुप्रतिष्ठा सदसद्रूप - धारिणी ॥ १३०॥
अष्टमूर्तिर् अजाजैत्री लोकयात्रा - विधायिनी ।
एकाकिनी भूमरूपा निर्द्वैता द्वैतवर्जिता ॥ १३१॥
अन्नदा वसुदा वृद्धा ब्रह्मात्मैक्य - स्वरूपिणी ।
बृहती ब्राह्मणी ब्राह्मी ब्रह्मानन्दा बलिप्रिया ॥ १३२॥
भाषारूपा बृहत्सेना भावाभाव - विवर्जिता ।
सुखाराध्या शुभकरी शोभना सुलभा गतिः ॥ १३३॥
राज - राजेश्वरी राज्य - दायिनी राज्य - वल्लभा ।
राजत्कृपा राजपीठ - निवेशित - निजाश्रिता ॥ १३४॥
राज्यलक्ष्मीः कोशनाथा चतुरङ्ग - बलेश्वरी ।
साम्राज्य - दायिनी सत्यसन्धा सागरमेखला ॥ १३५॥
दीक्षिता दैत्यशमनी सर्वलोक - वशङ्करी ।
सर्वार्थदात्री सावित्री सच्चिदानन्द - रूपिणी ॥ १३६॥
देश - कालापरिच्छिन्ना सर्वगा सर्वमोहिनी ।
सरस्वती शास्त्रमयी गुहाम्बा गुह्यरूपिणी ॥ १३७॥
सर्वोपाधि - विनिर्मुक्ता सदाशिव - पतिव्रता ।
सम्प्रदायेश्वरी साध्वी गुरुमण्डल - रूपिणी ॥ १३८॥
कुलोत्तीर्णा भगाराध्या माया मधुमती मही ।
गणाम्बा गुह्यकाराध्या कोमलाङ्गी गुरुप्रिया ॥ १३९॥
स्वतन्त्रा सर्वतन्त्रेशी दक्षिणामूर्ति - रूपिणी        ।
सनकादि - समाराध्या शिवज्ञान - प्रदायिनी ॥ १४०॥
चित्कला आनन्द - कलिका प्रेमरूपा प्रियङ्करी ।
नामपारायण - प्रीता नन्दिविद्या नटेश्वरी ॥ १४१॥
मिथ्या - जगदधिष्ठाना मुक्तिदा मुक्तिरूपिणी ।
लास्यप्रिया लयकरी लज्जा रम्भादिवन्दिता ॥ १४२॥
भवदाव - सुधावृष्टिः पापारण्य - दवानला ।
दौर्भाग्य - तूलवातूला जराध्वान्त - रविप्रभा ॥ १४३॥
भाग्याब्धि -चन्द्रिका भक्त - चित्तकेकि - घनाघना ।
रोगपर्वत - दम्भोलिर् मृत्युदारु - कुठारिका ॥ १४४॥
महेश्वरी महाकाली महाग्रासा महाशना ।
अपर्णा चण्डिका चण्डमुण्डासुर - निषूदिनी ॥ १४५॥
क्षराक्षरात्मिका सर्व - लोकेशी विश्वधारिणी ।
त्रिवर्गदात्री सुभगा त्र्यम्बका त्रिगुणात्मिका ॥ १४६॥
स्वर्गापवर्गदा शुद्धा जपापुष्प - निभाकृतिः ।
ओजोवती द्युतिधरा यज्ञरूपा प्रियव्रता ॥ १४७॥
दुराराध्या दुराधर्षा पाटली - कुसुम - प्रिया ।
महती मेरुनिलया मन्दार - कुसुम - प्रिया ॥ १४८॥
वीराराध्या विराड्रूपा विरजा विश्वतोमुखी ।
प्रत्यग्रूपा पराकाशा प्राणदा प्राणरूपिणी ॥ १४९॥
मार्तण्ड - भैरवाराध्या मन्त्रिणीन्यस्त - राज्यधूः । 
त्रिपुरेशी जयत्सेना निस्त्रैगुण्या परापरा ॥ १५०॥
सत्य - ज्ञानानन्द - रूपा सामरस्य - परायणा ।
कपर्दिनी कलामाला कामधुक् कामरूपिणी ॥ १५१॥
कलानिधिः काव्यकला रसज्ञा रसशेवधिः ।
पुष्टा पुरातना पूज्या पुष्करा पुष्करेक्षणा ॥ १५२॥
परंज्योतिः परंधाम परमाणुः परात्परा ।
पाशहस्ता पाशहन्त्री परमन्त्र -विभेदिनी ॥ १५३॥
मूर्ताऽमूर्ताऽनित्यतृप्ता मुनिमानस - हंसिका ।
सत्यव्रता सत्यरूपा सर्वान्तर्यामिनी सती ॥ १५४॥
ब्रह्माणी ब्रह्मजननी बहुरूपा बुधार्चिता ।
प्रसवित्री प्रचण्डा आज्ञा प्रतिष्ठा प्रकटाकृतिः ॥ १५५॥
प्राणेश्वरी प्राणदात्री पञ्चाशत्पीठ - रूपिणी ।
विशृङ्खला विविक्तस्था वीरमाता वियत्प्रसूः ॥ १५६॥
मुकुन्दा मुक्तिनिलया मूलविग्रह - रूपिणी ।
भावज्ञा भवरोगघ्नी भवचक्र - प्रवर्तिनी ॥ १५७॥
छन्दःसारा शास्त्रसारा मन्त्रसारा तलोदरी ।
उदारकीर्तिर् उद्दामवैभवा वर्णरूपिणी ॥ १५८॥
जन्ममृत्यु - जरातप्त - जनविश्रान्ति - दायिनी ।
सर्वोपनिष - उदुद् - घुष्टा शान्त्यतीत - कलात्मिका ॥ १५९॥
गम्भीरा गगनान्तस्था गर्विता गानलोलुपा ।
कल्पना - रहिता काष्ठा अकान्ता कान्तार्ध - विग्रहा ॥ १६०॥
कार्यकारण - निर्मुक्ता कामकेलि - तरङ्गिता ।
कनत्कनकता - टङ्का लीला - विग्रह - धारिणी ॥ १६१॥
अजा क्षयविनिर्मुक्ता मुग्धा क्षिप्र - प्रसादिनी ।
अन्तर्मुख -समाराध्या बहिर्मुख - सुदुर्लभा ॥ १६२॥
त्रयी त्रिवर्गनिलया त्रिस्था त्रिपुरमालिनी ।
निरामया निरालम्बा स्वात्मारामा सुधासृतिः  (सुधास्रुतिः )॥ १६३॥ 
संसारपङ्क - निर्मग्न - समुद्धरण - पण्डिता ।
यज्ञप्रिया यज्ञकर्त्री यजमान - स्वरूपिणी ॥ १६४॥
धर्माधारा धनाध्यक्षा धनधान्य - विवर्धिनी ।
विप्रप्रिया विप्ररूपा विश्वभ्रमण - कारिणी ॥ १६५॥
विश्वग्रासा विद्रुमाभा वैष्णवी विष्णुरूपिणी ।
अयोनिर् योनिनिलया कूटस्था कुलरूपिणी ॥ १६६॥
वीरगोष्ठीप्रिया वीरा नैष्कर्म्या नादरूपिणी ।
विज्ञानकलना कल्या विदग्धा बैन्दवासना ॥ १६७॥
तत्त्वाधिका तत्त्वमयी तत्त्वमर्थ - स्वरूपिणी ।
सामगानप्रिया सौम्या सदाशिव - कुटुम्बिनी ॥ १६८॥ or सोम्या
सव्यापसव्य - मार्गस्था सर्वापद्विनिवारिणी ।
स्वस्था स्वभावमधुरा धीरा धीरसमर्चिता ॥ १६९॥
चैतन्यार्घ्य - समाराध्या चैतन्य - कुसुमप्रिया ।
सदोदिता सदातुष्टा तरुणादित्य - पाटला ॥ १७०॥
दक्षिणा - दक्षिणाराध्या दरस्मेर - मुखाम्बुजा ।
कौलिनी -केवला अनर्घ्य - कैवल्य - पददायिनी ॥ १७१॥
स्तोत्रप्रिया स्तुतिमती श्रुति - संस्तुत - वैभवा ।
मनस्विनी मानवती महेशी मङ्गलाकृतिः ॥ १७२॥
विश्वमाता जगद्धात्री विशालाक्षी विरागिणी ।
प्रगल्भा परमोदारा परामोदा मनोमयी ॥ १७३॥
व्योमकेशी विमानस्था वज्रिणी वामकेश्वरी ।
पञ्चयज्ञ - प्रिया पञ्च - प्रेत - मञ्चाधिशायिनी ॥ १७४॥
पञ्चमी पञ्चभूतेशी पञ्च -संख्योपचारिणी ।
शाश्वती शाश्वतैश्वर्या शर्मदा शम्भुमोहिनी ॥ १७५॥
धरा धरसुता धन्या धर्मिणी धर्मवर्धिनी ।
लोकातीता गुणातीता सर्वातीता शमात्मिका ॥ १७६॥
बन्धूक -कुसुमप्रख्या बाला लीलाविनोदिनी ।
सुमङ्गली सुखकरी सुवेषाढ्या सुवासिनी ॥ १७७॥
सुवासिन्यर्चन -प्रीता अशोभना शुद्धमानसा ।
बिन्दु - तर्पण - सन्तुष्टा पूर्वजा त्रिपुराम्बिका ॥ १७८॥
दशमुद्रा - समाराध्या त्रिपुराश्री - वशङ्करी ।
ज्ञानमुद्रा ज्ञानगम्या ज्ञानज्ञेय - स्वरूपिणी ॥ १७९॥
योनिमुद्रा त्रिखण्डेशी त्रिगुणाम्बा त्रिकोणगा ।
अनघाऽद्भुत -चारित्रा वाञ्छितार्थ -प्रदायिनी ॥ १८०॥
अभ्यासातिशय -ज्ञाता षडध्वातीत - रूपिणी ।
अव्याज - करुणा - मूर्तिर् अज्ञान - ध्वान्त - दीपिका ॥ १८१॥
आबाल - गोप - विदिता सर्वानुल्लङ्घ्य - शासना ।
श्रीचक्रराज - निलया श्रीमत् - त्रिपुरसुन्दरी ॥ १८२॥
श्रीशिवा शिव - शक्त्यैक्य - रूपिणी ललिताम्बिका ।
एवं श्रीललिता देव्या नाम्नां साहस्रकं जगुः ॥ 183 ||

॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे उत्तरखण्डे श्रीहयग्रीवागस्त्यसंवादे
श्रीललिता सहस्रनाम स्तोत्र कथनं सम्पूर्णम् ॥
।। भगवती श्री ललिताम्बिका चरणार्पणमस्तु ।।

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