Tuesday 25 November 2014

Names 701 to 800





(701) देशकालपरिच्छिन्ना - देश और कालसे परे मा ।
(702) सर्वगा - सब जगह मौजूद मा ।
(703) सर्वमोहिनी - सबको मोहित करनेवाली मा ।
(704) सरस्वती - सरस्वती जिनका अंश है वह मा ।
(705) शास्त्रमयी - सब शास्त्रोंका स्वरूप मा ।
(706) गुहाम्बा - कार्तिक स्वमीकी जननी पार्वतीके रूपमे मा । 
(707) गुह्यरूपिणी - गुप्त विद्या रूपिणी मा ।
(708) सर्वोपाधिविनिर्मुक्ता - सब प्रकारकी उपाधियोंसे मुक्त करानेवाली मा ।
(709) सदाशिवपतिव्रता - सदाशिवकी पतिव्रता पार्वती जिनका अंश है वह मा ।
(710) सम्प्रदायेश्वरी - संप्रदायको कायम करनेवाली और पालनेवाली मा ।
(711) साधु - साधुके रुपमें मा ।
(712) ई -  प्रिय मा । ईं बीजरूपी मा ।
(713) गुरूमण्डलरूपिणी - गुरू मंडल स्वरूप मा ।
(714) कुलोत्तिर्णा - भक्तको सब इन्द्रियोंसे परे ले जानेवाली मा ।
(715) भगाराध्या - सूर्यद्वारा पूजी जानेवाली मा ।
(716) माया - माया रूपी मा ।
(717) मधुमती - शहद जैसी मीठी जिनकी मती है एैसे भक्तके रूपमे मा ।
(718) मही - पृथ्वी माताके रूपमे मा ।
(719) गणाम्बा - श्रीगणेशकी माता पार्वती जिनका अंश है वह मा । 
(720) गुह्यकाराध्या - गुप्त रीतिसे आराधित होनेवाली मा ।
(721) कोमलांगी - कोमल अंगोवाली मा ।
(722) गुरूप्रिया - गुरूओंकी प्रिय मा ।
(723) स्वतंत्रा - स्वतंत्रताका स्वरूप मा ।
(724) सर्वतंत्रेशी - सर्व तन्त्रोकी ईश्वरी मा ।
(725) दक्षिणामूर्तिरूपिणी - दक्षिणामुर्ती शिवका स्वरूप मा ।
(726) सनकादिसमाराध्या - सनक, सनंदन ऋषीयोने जिनकी आराधना की है वह मा ।
(727) शिवज्ञानप्रदायिनी - जीवको शिव होनेका ज्ञान प्रदान करनेवाली मा ।
(728) चित्कला - सब आत्माओें स्थित चैतन्य कला ।
(729) आनन्दकलिका - आनन्दकी कली मा ।
(730) प्रेमरूपा - प्रेम का रूप मा ।
(731) प्रियंकरी - प्रेम पैदा करनेवाली मा ।
(732) नामपरायणप्रिता - भगवानके  नामोंका जप परायण करनेवाले भक्तोंसे प्रसन्न रहनेवाली मा । जिन्हे नामजपका पारायण प्रिय है वह मा ।
(733) नन्दिविद्या - सेवा मार्गकी विद्या स्वरूप मा ।
(734) नटेश्वरी - जगतको नचानेवाली और चलानेवाली मा ।
(735) मिथ्याजगदधिष्ठाना - मिथ्या  जगतको अपनी मायासे सत्य मनानेवाली मा ।
(736) मुक्तिदा - मुक्ति देनेवाली मा ।
(737) मुक्तिरुपिणी - मुक्तिका स्वरूप मा ।
(738) लास्यप्रिया - नाच जिन्हे प्रिय है वह मा ।
(739) लयकरी - सृष्टीका लय करनेवाली मा ।
(740) लज्जा - लज्जाका स्वरूप मा ।
(741) रंभादिवंदिता - रंभा आदी अप्सराओंने जिनका वंदन कीया है वह मा ।
(742) भवदावसुधावृष्टिः - संसारके दुःख्खरूपी अग्निको बुझानेके लिये अमृतकी वर्षा करनेवाली मा ।
(743) पापारण्यदवानला - पापरूपी अरण्यको जलानेके लिये अग्नीरूप मा ।
(744) दौर्भाग्यतुलवातूला - दुर्भाग्यको तिनकेकी तरह उडालेवाली वायु रूप मा ।
(745) जराध्वान्तरविप्रभा - वृध्द अवस्थाके अज्ञान अन्धकारसे होते हुए दुःख्खके लिये सूर्यके प्रकाश रूपी मा ।
(746) भाग्याब्धिचन्द्रिका - सौभाग्यके सागरके भरतीको चन्द्रके समान मा ।
(747) भक्तचेतिघनाघना - भक्तोंके चित्त रूपी मोरके लियेबादलरूप मा ।
(748) रोगपर्वतदम्भोली - रोगके पर्वतके लिये वज्ररूप मा ।
(749) मृत्युदारूकुठारिका - मृत्युरूपी वृक्ष को काटनेके लियेकुठार स्वरूप मा ।
(750) महेश्वरी - भगवान श्री शिवजीके भक्तिस्वरूप मा ।
(751) महाकाली - कालसे भी परे महाकाली देवीके रूपमे मा ।
(752) महाग्रासा - विश्वको एकही ग्रासमे समाप्त करनेमे महाग्रास स्वरूप मा ।
(753) महाशना - अपनेमे सारे जगतको समा लेनेवाली मा ।
(754) अपर्णा - भक्तोंके ऋणसे  जल्दी मुक्त होनेवाली मा ।
(755) चंडिका - भक्तोंको सतानेवाले दुष्ट लोगोंपर क्रोध करनेवाली मा ।
(756) चण्डमुण्डासुरनिषूदिनी - चण्ड और मुण्ड नामके राक्षसोंका नाश करनेवाली मा ।
(757) क्षराक्षरात्मिका - क्षर(नाशवान) और अक्षर(नाशरहित) की आत्मस्वरूप मा ।
(758) सर्वलोकेशी - सब लोकोंकी ईश्वरी मा ।
(759) विश्वधारिणी - विश्वको धारण करनेवाली मा ।
(760) त्रिवर्गदात्री - धर्म, अर्थ और काम के त्रिवर्गके सब सुखोंको देनेवाली मा ।
(761) सुभगा - सद् भाग्य और सौभाग्य देनेवाली मा ।
(762) त्र्यम्बका -तीनो मार्गोंसे जानेवाले भक्तोंकी आंख रूप मा ।
(763) त्रिगुणात्मिका - सत् , रज  और तम इन तीन गुणोंकी आत्मा स्वरूप मा ।
(764) स्वर्गापवर्गदा - स्वर्ग और मोक्ष देनेवाली मा ।
(765) शुध्दा - पवित्र भक्तोंको सदा पवित्र रखनेवाली मा ।
(766) जपापुष्पनिभाकृतिः - जपापुष्प जैसी कोमल और सुन्दर मा ।
(767) ओजोवती - ओजयुक्त महान तेजवाली मा ।
(768) द्युतिधरा - भक्तोंके लेये प्रकाश रूप मा ।
(769) यज्ञरूपा - यज्ञका स्वरूप मा ।
(770) प्रियव्रता - जिन्हे व्रत वैकल्य प्रिय है वह मा ।
(771) दुराराध्या - मुश्किलसे आराधित मा ।
(772) दुराधर्षा - मुश्किलसे ध्यानमे आनेवाली मा । संयम रखनेकी आवश्यकताके कारण कठिनाईसे मिलनेवाली मा ।
(773) पाटलीकुसुमप्रिया - जिन्हे पाटला यानी गुलाबके फूल प्रिय है वह मा ।
(774) महती - नारदकी वीणामें निवास करनेवाली मा ।
(775) मेरूनिलया - मेरू पर्वतपर निवास करनेवाली मा ।
(776) मन्दारकुसुमप्रिया - मंदार फुलोंकी प्रिय मा ।
(777) वीराराध्या - वीर लोग जिनकी आराधना करते है वह मा ।
(778) विराड्रुपा- विराट स्वरूप मा ।
(779) विरजा - मनोविकारसे रहित मा ।
(780) विश्वतोमुखी - सारे विश्वकी तरफ मुख फैलानेवाली मा ।
(781) प्रत्यगरूपा -भक्तोंको अंतर्मुख कराने वाली मा ।
(782) पराकाशा - आकाशसे भी परे मा ।
(783) प्राणदा - प्राण देनेवाली मा ।
(784) प्राणरूपिणी - प्राणका स्वरूप मा ।
(785) मार्तण्डभैरवाराध्या - मार्तण्डभैरवसे आराधित मा ।
(786) मन्त्रिण्यस्तराज्यधूः - मन्त्र जाप करनेवाले भक्तको राज्य सौंपनेवाली मा ।
(787) त्रिपुरेशी - श्रीचक्रमें स्थित सर्वशापरिपूर चक्रकी स्वामिनी स्वरूप मा ।
(788) जयत्सेना - जय करनेवाली सेनायुक्त मा ।
(789) निस्त्रैगुण्या - त्रिगुणसे प्रिया ।
(790) परापरा - अपना, पराया, दोस्त और दुष्मनोंकी मा ।
(791) सत्यज्ञानानन्दरूपा - सत्य, ज्ञान और आनन्दका रूप मा ।
(792) सामरस्यपरायणा - भक्तोंको समान स्थिती देनेवाली मा ।
(793) कपर्दिनी - गुंथेहुए बालोंवाली मा ।
(794) कलामाला - सब कलाओंकी माला मा ।
(795) कामधुक् -कामधेनु गौ रूप मा ।
(796) कामरूपिणी - ईच्छाओंको उत्पन्न करनेवाली , पूरी करनेवाली और नाश करानेवाली मा ।
(797) कलानिधी - सब कला और विज्ञानकी खान मा ।
(798) काव्यकला - काव्य और कला स्वरूप मा ।
(799) रसज्ञा - सब रसोंकी ज्ञाता मा ।
(800) रसशेवधिः - सब रसोंका भण्डार स्वरूप मा ।

यह ललिता सहस्रनाम भाष्य संत श्री माईजी महाराज जीके पुस्तकोंकी आधारसे किया है ।
पता - माई निवास, सरस्वती रस्तेके अंतीम भागपर स्थित, सारस्वत कोलोनी,  सांता क्रुझ ( पश्चिम ) मुम्बई 400054

ललिता सहस्रनामोंकी अधिक जानकारीके लिये कृपया निम्न लिंक्स देखिये - http://maiism.blogspot.com/

http://mohankharkar.wordpress.com/

http://www.tumblr.com/blog/mohankharkar

http://universalreligionmaiism.blogspot.in/

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