Friday 1 August 2014

Names 151 to 200

जय माई जय मार्कण्ड माई
श्रीललिता सहस्रनाम : -
(151) निरन्तरा - उंच और नीच, पाप और पुण्यवानमें जो अंतर नही रखती वह मा ।
(152) निष्कारणा - कार्यकारणके नियमसे परे मा ।
(153) निष्कलंका - कलंकरहित मा । भक्तको कलंकसे बचानेवाली मा ।
(154) निरूपाधिः - उपाधिरहित मा । भक्तकी सब उपाधी हर लेनेवाली मा ।
(155) निरीश्वरा - जिनके परे कोई ईश्वर नही है एैसी मा ।
(156) नीरागा - राग रहित मा । भक्तोंको रागरहित करनेवाली मा ।
(157) रागमथनी - भक्तके राग, द्वेष नाश करनेवाली मा ।
(158) निर्मदा - मदरहित मा । भक्तोंको मदरहित बननेवाली मा ।
(159) मदनाशिनी - भक्तोंके मदका नाश करनेवाली मा ।
(160) निश्चिन्ता - चिन्तारहित मा । भक्तोंकी सब चिन्ताए हर लेनेवाली मा ।
(161) निरहंकारा - अहंकार रहित मा । भक्तोंको अहंकारसे रहित बनानेवाली मा ।
(162) निर्मोहा - मोहसे परे मा । भक्तका मोह दूर करनेवाली मा ।
(163) मोहनाशिनी - अपने भक्तके सांसारिक मोहका नाश करनेवाली मा ।
(164) निर्ममा - ममता रहित मा । जो कुछ मेरा है वह मेरा नही बल्कि मेरे भक्तका है एैसे ' मेरा नही सब कुछ तेरा है ' की मान्यतासे भक्तके साथ बर्ताव करनेवाली मा । अपने भक्तको ' मा के सिवा  और सब सांसारिक संपत्ती मेरी नही बल्कि मेरी माकी है ' इस समझसे माकी शरण जानेकी बुध्दी देनेवाली मा । अपने भक्तको ममतारहित करनेवाली मा ।
(165) ममताहन्त्री - भक्तकी सांसारिक ममताका नाश करनेवाली मा ।
(166) निष्पापा - पापरहित मा । भक्तको पापमुक्त करानेवाली मा ।
(167) पापनाशिनी - भक्तके पापोंका नाश करनेवाली मा ।
(168) निष्क्रोधा - क्रोधरहित मा । भक्तको क्रोधरहित बनानेवाली मा ।
(169) क्रोधशमनी -भक्तके क्रोधको शांत करनेवाली मा । जिस तरह श्रीशिवजीके प्रणाम करनेसे काली माता क्रोधरहित हो गयी थी उसतरह भक्तके प्रेमसे अपना क्रोध भूल जानेवाली मा ।
(170) निर्लोभा - लोभरहित मा । भक्तको लोभरहित बना देनेवाली मा ।
(171) लोभनाशिनी - भक्तके लोभका नाश करनेवाली मा ।
(172) निःसंशया - संशयसे परे मा । भक्तको एक बार अपनी शरणमे स्वीकार कर लेनेपर उसको संशयरहीत ( निसंशय ) कर देनेवाली मा ।
(173) संशयघ्नी - भक्तके संशयका नाश कर देनेवाली मा ।
(174) निर्भवा - मूलरहित मा । जन्मरहित मा ।
(175) भवनाशिनी - भक्तका सांसारिक बन्धनका नाश करनेवाली मा ।
(176) निर्विकल्पा - संकल्प विकल्पसे परे मा । भक्तका संकल्प विकल्प मिटानेवाली मा ।
(177) निराबाधा - बाधारहित मा । भक्तकी बाधाए दुर करनेवाली मा ।
(178) निर्भेदा - भेदरहित मा ।
(179) भेदनाशिनी - भक्तके छोटे बडे, उच्च नीच, इत्यादी अनेक प्रकारके भेदभावका नाश करनेवाली मा ।
(180) निर्नाशा - नाशरहित मा ।
(181) मृत्युमथनी - मृत्युका भी नाश करनेवाली मा ।
(182) निष्क्रिया - क्रियासे भी परे मा । क्रिया बिगर अपने संकल्प मात्रसेही जगतको बनानेवाल्री और इच्छनुसार  बर्ताव करनेवाली मा ।
(183) निष्परिग्रहा - किसी सेवाका अनंत फल दिए बिगर न रहनेवाली मा ।
(184) निस्तुला - अपने भक्तके दोष न तोलनेवाली मा । मुकाबलेसे परे मा ।
(185) नीलचिकुरा - नीले केशोंवाली मा ।
(186) निरपाया - सबको अनुकुलता देनेवाली मा । सबसे अनुकुल रहनेवाली मा ।
(187) निरत्यया - सबसे हुक्म मनवानेवाली मा । जिनकी आज्ञा और संकल्प कोई नही तोड सकता या टाल सकता वह मा ।
(188) दुर्लभा - कृपाके सिवा दुर्लभ मा । 
(189) दुर्गमा - माकी कृपाके सिवा उनके चरणोंतक पहुंचना कठीन है वह मा । 
(190) दुर्गा - अपने भक्तके उपर आयी हुई किसीभी आपत्तिको निवारण कर देनेवाली मा । जो अपूर्णताको पूर्ण कर देती है वह मा । जो भिन्न भिन्न शक्तीयोंके कार्योंका अवलोकन करती है और उनको अपने ध्येय और सिध्दिकी ओर बढाती है वह मा । भक्तके आदिसे अंत तक उनकी उन्नतीके मार्गकी हर एक स्थितीमें जिम्मेदारी लेनेवाली मा ।
(191) दुःखहन्त्री - सांसारिकता और जन्म मरणसे होनेवाले दुःखका नाश करनेवाली मा ।
(192) सुखप्रदा - इस लोक और परलोकमे सुख और आनंद देनेवाली मा ।
(193) दुष्टदूरा - दुष्ट ओर पापीयोंसे अपने भक्तोंको दूर रखनेवाली मा ।
(194) दुराचारशमनी - धर्मके नामपर दुराचार और कुरितीयोंका नाश करनेवाली मा । दुराचारसे पैदा होनेवाले दुःखोंको सहन करनेकी शक्ती अपने भक्तोंको देकर उसे शांत रखनेवाली मा ।
(195) दोषवर्जिता - सभि दोषोंसे रहित मा ।
(196) सर्वज्ञा - हरेक प्रकारके ज्ञान देनेवाली या सब कुछ जाननेवाली मा ।
(197) सान्द्रकरूणा - अतिषय करूणाकी वृष्टी करनेवाली मा ।
(198) समानाधिकवर्जिता - छोटे बडेका भेद भुलानेवाली मा ।
(199) सर्वशक्तिमयी - सर्व शक्तियोंसे युक्त और शक्ति देनेवाली मा ।
(200) सर्वमंगला - सबका और सब प्रकारका मंगल करनेवाली मा ।

संतश्रेष्ठ श्रीमाईजी ( श्री माईस्वरूप माई मार्कण्ड जी ) के पुस्तकोंपर आधारित यह ललिता सहस्रनामोंका विवरण है । अधिक जानकारीके लिए कृपया संपर्क करे - माई निवास, सरस्वती मार्गके अंतिम भागपर स्थित, सांता क्रुझ (पश्चिम), मुंबई 400054 ।

 श्रीललिता सहस्रनामोंकी अधिक और विस्तृत जानकारीके लिये कृपया निम्न लिखीत लिंकपर क्लीक कीजिए : -

http://maiism.blogspot.com/

http://universalreligionmaiism.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment

Featured post

Names : 1 to 50

माई (श्रीललिता) सहस्र नाम  माई सिद्धान्त प्रार्थना समेत लेखक माई मार्कण्ड रायसाहब श्री मार्कण्ड रतनलाल धोलकिया गवर्नमेन्ट स्पेशल लैन्ड अक...